Sunday 31 July 2011

बढ़ती हुई महंगाई का सीधा असर घरेलु जिंदगी पर


 , देश में बढ़ती  हुई महंगाई जिस तरह घरेलु महिलाओं के बजट की धज्जिया उड़ा रही है. उससे साफ़ नजर आ रहा है कि सरकार के खिलाफ महिलाऐं जल्दी ही देशव्यापी आन्दोलन करती दिखाई देंगी.कमरतोड़ मह्नागाई के आगे आम आदमी का जीना कठिन होता जा रहा है.जंहा एक ओर कमाने वाला अकेला ओर खाने वाले चार. उस घर में महंगाई एक कहर कि तरह बरस रही है.सरकार का ये रवैया "आमदनी अठान्नी और खर्चा रूपया" कि कहावत को आम आदमी कि जिंदगी में ही साबित कर रहा है.
                          
   सब्जी,अनाज ,तेल,फलों के दाम जिस तरह आसमान छू रहे है . वंहा एक गरीब परिवार ही क्या,मध्यमवर्गीय परिवार का गुजारा करना ही मुश्किल हो गया है.बच्चो के स्कूल के खर्चे से लेकर घर के खर्चो तक के बजट डगमगाने लगा है.घर कि बाग़डोर सँभालने वाली गृहणी सोच में पड़ गई है कि घर में किन चीजों में कटौती कि जाये और किन कि पूर्ति कि जाये.महंगाई जिस स्तर  से बढ़ती जा रही है ,महिलाओं के लिए बचत करना नामुमकिन होता जा रहा है.अपने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपने खर्चों में कमी करना आज के माँ-बाप कि अहम् जिम्मेदारी हो गयी है.सिर्फ खाद्य पदार्थ ही क्या पेट्रोल, डीजल यंहा तक शिक्षा भी इतनी महंगी हो चली है कि मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को अच्छी शालाओं में प्रवेश के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है.
 
इसी तरह चलता रहा तोक्या  आम आदमी अपने देश के प्रति ईमानदार रह सकेगा,उसे पैसे कमाने के लिए गलत तरीके का उपयोग करना ही पड़ेगा.इसी तरह भ्रष्टाचार बढ़ता जा  रहा है.क्योकि गरीब और गरीब होता जा रहा है,और अमीर नेता महंगाई कि आड़ में गरीबो को लुट के खुद अमीर बनते जा रहा है.
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फाजिल्का जिला बनने से फाजिल्का में समस्यायो का समाधान आसान


अब किसी भी फाजिल्का के नागरिक को किसी भी समस्या के समाधान के लिए फिरोजेपुर या चंडीगढ़ जाने की जरूरत नहीं ।
कुछ महीने पहले की बात हे  मुझे एक समस्या आ गई , इस समस्या के समाधान के लिए मुझे अबोहर मे एक्सियन पंजाब मंडी बोर्ड अबोहर के पास  जाना पड़ा , उन्हों ने मुझे बताया इस समस्या का समाधान फ़िरोज़पुर  मे डी ॰ सी फ़िरोज़पुर ॰ या चंडीगढ़ मे मुखमंत्री सरदार परकाश सिंह चंदिगड  के पास हे  । अभी तक मे न फिरोजेपुर जा पाया , न ही चंडीगढ़ जा पाया । न ही  इस समस्या का समाधान कर  पाया । साधारण इंसान फ़िरोज़पुर , चंडीगढ़ मे छोटे से काम  के लिए नही जा सकता हे । वह कहता हे महगाई का जमाना हे ,वहाँ जा कर क्यो 500 / 00 रुपये का नोट गवाना हे ।
अब डी ॰ सी ॰ साहिब फाजिल्का मे आ ही गये हे , अब इस समस्या का समाधान हो ही जाए गा ।
डी ॰ सी ॰ डा ॰ बसंत गर्ग साहिब जी के फाजिल्का मे आने से फाजिल्का मे बसंत ऋतु आ गई हे ।
लोग खुशी से झूम रहे हे ।     

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आने वाले विधान सभा चुनाव में केसे मिलेगा फाजिल्का की जनता का वोट –विश्वास मत जीते ?

Ashok Gagneja)


                          कल अकाली - बीजेपी पार्टी वाले नेता फाजिल्का को जिला बनाने के बाद घंटा घंटा घर पर जलसे मे जनता से आने वाले चुनाव के लिए अपनी पार्टी के लिए वोट माँग रहे थे । फाजिल्का जिला बनाने के बाद वे फाजिल्का की जनता से कह रहे थे अब हमारा हक हे कि फाजिल्का की जनता आने हाम्रै विधान सभा चुनाव में अकाली - बीजेपी पार्टी को वोट दे । 
                         फाजिल्का की जनता आने वाले विधान सभा चुनाव में उस पार्टी को वोट डाले गी जो मंच पर आ कर कसम उठा कर यह कहे गी कि हमारा कोई भी नेता फाजिल्का के विकास के कार्य में किसी भी ठेकेदार से कमीशन नही लेगा और हर उच –अधिकारोयों को भी ठेकेदारों से कमीशन लेने के लिए रोके गा । जो पार्टी सच्चा वादा जनता से करे गी व्ही वोट पाए गी , नही तो आने वाले विधान सभा चुनाव में पछतायो गी । यही फाजिल्का कि जनता का पक्का इरादा हे ।



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जिले के रूप में हम सब की जीत हुई


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फाजिल्का जिला बन्ने पर लख -लख बधाई-

फाजिल्का जिला बन्ने पर लख -लख बधाई-
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फाजिल्का जिला बन्ने पर लख -लख बधाई- सवी

फाजिल्का जिला बन्ने पर लख -लख बधाई-  सवी 
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फाजिल्का जिला बन्ने पर लख -लख बधाई- विनोद कुमार

फाजिल्का जिला बन्ने पर जिला निवास्यों ko लख -लख बधाई- कंचन शर्मा

फाजिल्का जिला बन्ने पर लख -लख बधाई-अशोक गुल्बधर

फाजिल्का जिला बन्ने पर लख -लख बधाई- महिंदर धींगडा

फाजिल्का जिला बन्ने पर लख -लख बधाई- डॉ. महिंदर रीनवा

फाजिल्का जिला बन्ने पर लख -लख बधाई- जसविंदर सिंह रोकी

फाजिल्का जिला बन्ने पर लख -लख बधाई- जसविंदर सिंह रोकी 
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Fazilka Da taste


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Friday 29 July 2011

फाजिल्का जिला बनाने वाले हीरो का हुआ स्वागत

सरदार चरण सिंह, सुरजीत ज्यानी, मोहिंदर धींगडा, साँझा मोर्चा 


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Fazilka Ditrict


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"मेरा नाम अमर रहे, फाजिल्का गया तेल लेने

See this Pics -Correctly sai -
मेरा नाम अमर रहे, फाजिल्का गया तेल लेने





" .....Now In these Days People want teir publicity on behalf by disgracing Public property .......They want their name popular by deflecting public things.......for all those who love Fazilka and claim to be future leaders of Fazilka,..........our city is our pride........So Save ur city ...share this with all.....

केसे बना फाजिल्का जिला


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फाजिल्का जिला बन्ने पर कहीं ख़ुशी कहीं गम


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Thursday 28 July 2011

दो साल का नन्हा घुड़सवार

क्या कोई दो साल का मासूम खिलौने से खेलने की उम्र में घुड़सवारी कर सकता है, जी हां बिल्कुल कर सकता है। मध्य प्रदेश के इंदौर में एक दो साल के मासूम ने ऐसा ही कारनाम कर दिखाया है। मासूम इस उम्र में घुड़सवारी करके देश का सबसे नन्हा घुड़सवार बनने की तैयारी कर रहा है

News express
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वर्तमान में फेसबुक के 50 करोड़ से ज्यादा यूजर्स

सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक का क्रेज इन दिनों सभी के सिर चढ़कर बोल रहा है। एक अमरीकी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले लगभग 75 लाख यूजर्स नाबालिग हैं और यह उम्र सोशल नेटवर्किग साइट पर बिताने के लिए मान्य नहीं है। 

पिछले साल फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले 2 करोड़ बच्चों में से 75 लाख बच्चे 13 साल की उम्र से कम हैं और वह इसका उपयोग नहीं कर सकते। अमरीकी कंज्यूमर एडवोकेसी पब्लिकेशन की रिपोर्ट के अनुसार 50 लाख से ज्यादा बच्चे 10 साल या इससे कम के हैं और इनके पैरेंट्स भी उनके अकाउंट नहीं देखते। फेसबुक पर गत वर्ष 10 लाख बच्चों को परेशान किया गया, धमकी दी गई और साइबर अपराध से जुड़े अन्य मामलों के भी शिकार हुए।

स्टडी के मुताबिक 10 साल और उससे कम उम्र के बच्चों के अधिकतर पैरेंट्स इस बात से बेफिक्र हैं कि उनके बच्चे फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं। कंज्यूमर रिपोर्ट टेक्नोलॉजी के एडिटर जेफ फॉक्स ने कहा कि उम्र का बंधन होने के बावजूद बच्चे इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन बच्चों के माता पिता को भी कोई फिक्र नहीं है।

वर्तमान में फेसबुक के 50 करोड़ से ज्यादा यूजर्स है। यूं तो फेसबुक में शामिल होने के लिए जन्म तारीख मांगी जाती है और कम उम्र वालों के आवेदन को खारिज कर दिया जाता है पर बच्चे गलत जन्म तारीख देकर इससे जुड़ जाते हैं।

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पठानकोट-फाजिल्का जिले बने

चंडीगढ़ /जालंधर. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव के कारण कहीं आचार संहिता न लग जाए, इसी की सुगबुगाहट के चलते अकाली भाजपा सरकार ने आनन-फानन में बुलाई कैबिनेट की मीटिंग में फाजिल्का और पठानकोट को नए जिलों का दर्जा दे दिया। गुरुहरसहाय व धर्मकोट नए उपमंडल होंगे। धर्मकोट मोगा का और गुरुहरसहाय फिरोजपुर जिले का हिस्सा होगा। फाजिल्का में जलालाबाद, अबोहर, फाजिल्का व उपमंडल होंगे जबकि अरनीवाला शेख सुबान, सीतोगुन्नो व खुइयां उप-तहसीलें होंगी। पठानकोट में पठानकोट व धारकलां उपमंडल होंगे जबकि नरोट जैमल सिंह व बमियाल उप-तहसीलें होंगी। वहीं, २क् साल से ट्यूबवेल कनेक्शन की बाट जोह रहे 75000 किसानों के लिए कनेक्शन को भी मंजूरी दे दी है।

उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने कहा, फिरोजपुर और गुरदासपुर जिले काफी बड़े होने के कारण आम लोगों को जिला स्तर पर करवाए जाने वाले कामों को लेकर दिक्कत आ रही थी, इसलिए पठानकोट और फाजिल्का को जिला बनाया गया है। इसके अलावा बटाला और फगवाड़ा में एडीसी का पद सृजन किया जाएगा, जिसके पास जनरल और विकास दोनों तरह की पावर होंगी। 75 हजार कनेक्शन जारी होने से उन किसानों को लाभ होगा जो डीजल फूंककर सिंचाई करते हैं। नलकूप के लिए सरकार ने बिजली निशुल्क उपलब्ध करवाई हुई है। हालांकि पहले ही चिंतनीय स्तर पर पहुंच चुके जमीनी पानी का क्या होगा? इस पर कोई विचार नहीं हुआ है।

मुद्दाविहीन हो गई है कांग्रेस : कैप्टन अमरेंदर सिंह के डीजीपी पी.एस.गिल और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव डी.एस.गुरु के अकाली कार्यकर्ताओं की तरह सरगर्मियां दिखाने के आरोप पर सुखबीर बादल ने कहा, लगता है कांग्रेस मुद्दाविहीन हो गई है इसलिए इस तरह के मुद्दों को उठा रही है। जिलों में आईपीएस की जगह पीपीएस लगाने के बारे में उन्होंने हमारे पास आईपीएस अफसरों की कमी है, हम यूपीएससी से मामला टेकअप कर रहे हैं ताकि ज्यादा अफसर मिल सकें।

ये होंगे फायदे

फाजिल्का : हरियाणा के सिरसा, राजस्थान के बीकानेर, पाक के बहावलपुर व फिरोजपुर से सटा होने से आवाजाही और व्यापार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

प्रसिद्ध ऊन मंडी के फिर विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी।

पठानकोट : उद्योगपतियों की भागदौड़ कम होगी। जिला स्तर पर होने वाले काम, जिला न्यायालय में होने वाले केसों में शामिल होने सुविधा होगी।

जम्मू, हिमाचल से जुड़ा होने के कारण व्यापार बढ़ेगा।

बिना अफसर भर्ती इधर-उधर से भरेंगे जिले
जालंधर . नए जिले तभी सही ढंग से काम कर सकते हैं, जब इन्हें चलाने के लिए नई भर्ती कर पोस्टों को भरा जाए। अगर अफसरों व मुलाजिमों को इधर से उधर ही एडजस्ट किया गया तो पुराने जिलों का कामकाज भी प्रभावित होगा। फिलहाल सूबे में करीब 200 पीसीएस अफसरों की कमी चल रही है। कारण, अफसर रिटायर तो होते गए, लेकिन भर्ती नहीं की गई। हालात यह हो गए कि पीसीएस अफसरों को ठेके पर रखना पड़ा। पंजाब रेवेन्यू ऑफिसर्स एसो. के आंकड़ों के मुताबिक कुछ वर्ष पहले तक पीसीएस अधिकारियों का कैडर 296 पोस्टों का था।

यह पोस्टें पुरानी थीं और उसके बाद तरनतारन और साहिबजादा अजीत सिंह नगर (मोहाली) जिलों का गठन किया गया। चमकौर साहिब और खडूर साहिब तहसीलें भी बनाई गईं। सभी जिलों एवं तहसीलों की पोस्टों को ध्यान में रखा जाए तो पीसीएस अधिकारियों की गिनती करीब 310 तक जा पहुंचती है। इसमें नए जिलों के अफसर शामिल नहीं हैं। हालांकि सरकार ने काम चलाने के लिए 28 रिटायर हो ठेके पर रखा है। मुलाजिम संगठनों के मुताबिक सूबे में लगभग 60 प्रतिशत मुलाजिमों की कमी है।

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अबोहर-जलालाबाद तहसील के साथ साथ, ३१४ गाँव हुए फाजिल्का जिले के अंदर

अंकुर शर्मा
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फाजिल्का में बना जिले की जीत का जश्न

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UID Card news

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नगर कोंसिल की हेल्प लाइन सेवा एक ड्रामा- सवी काठपाल

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वन्दे मातरम से भारत पाक सीमा हुई गुन्ज्माये

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Davinder Sachdeva na fazilka village ka dora keya

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Tuesday 26 July 2011

पहचान की मोहताज ये समाधियां

भारत पाक के बीच 1971 में युद्ध दौरान शहीद हुए 206 वीर जवानों के फौलादी जज्बे को सलाम करने के लिए सियासी नेता और सेना के जवानों के अलावा आम लोगों की ओर से विजय दिवस पर शहीदों की समाधि आसफवाला में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक बड़ा समारोह आयोजित किया जाता है। लेकिन एक बुलबुले सा जीवन लेकर आने वाले एक दर्जन से अधिक चिरागों ने हमारे जीवन और देश को रोशन करके चुपचाप अनंत में लीन हो गए।
रह गई 6 समाधियां : श्मशान घाट में शहीदों की सिर्फ ६ समाधियां ही बाकी हैं, लेकिन वह भी जर्जर हालत में हैं। इनमें 15 राजपूत बटालियन के जवान शामिल हैं। जवान जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के रहने वाले हैं। इन्होंने 8 से 14 दिसंबर तक पाक रेंजरों का मुकाबला करते हुए शहीदी प्राप्त की थी। सिपाही सुमेर सिंह ने 8 दिसंबर, लांस नायक मुहम्मद सदीन वासी गाजीपुर यूपी, 13 दिसंबर को सिपाही मिंटू खान वासी राजस्थान और 14 दिसंबर को सिपाही हिजर मुहम्मद कश्मीरी वासी कश्मीर ने कुर्बानी दी थी। भास्कर की ओर से फाजिल्का सेक्टर में शहीदों की गुमनाम समाधियों की यह दूसरी खोज है। इससे पहले सैनियां रोड पर भी 16 गुमनाम समाधियों के बारे में विस्तार से लिखा गया था। जिस पर सैनिक भलाई विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ने कार्रवाई करते हुए संभाल के लिए विभाग को लिखा है। अब इन समाधियों के बारे में शहीदों के परिजनों को भास्कर ने लिखा है।दीप जलाता है मनदीप
चाहे प्रशासन ने इन शहीदों की सुध नहीं ली, लेकिन गांव पैंचावाली का मनदीप कंबोज हर त्योहार और धार्मिक दिवस पर श्मशान घाट में पहुंचकर समाधियों के समक्ष दीप जलाता है और नमन करता है। मनदीप का कहना है कि बचपन में बुजुर्ग बताते थे कि यहां शहीदों का अंतिम संस्कार किया गया था, लेकिन आज तक कोई अधिकारी शहीदों की समाधियों की देखभाल को नहीं पहुंचा। उन्होंने बताया कि जवान किसी धर्म के लिए नहीं लड़े, बल्कि देश, अटूट और अखंड भारत के लिए शहीद हुए हैं। शहीदों को देश से दीवानावार मुहब्बत थी, लेकिन प्रशासन ने उनकी कद्र नहीं जानी। मनदीप का कहना है कि अगर शहीदों की ही कोई सुध नहीं लेगा तो शहादत से नौनिहाल प्रेरणा कहां से लेंगे।

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ग्रामीणों ने किया एसडीओ और एक्सईएन का घेराव

फाजिल्का & बिजली सप्लाई कम मिलने से खफा छह गांवों के किसानों ने शुक्रवार को पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन के एसडीओ और एक्सईएन का घेराव किया। ग्रामीण बनवाला हनुवंता के पावरकॉम कार्यालय में किसी प्रकार का कोई नुकसान न पहुंचाएं, इसलिए वहां पुलिस बल तैनात किया गया। इस मौके पर गांव जंडवाला खरता, बनवाला हनुवंता, चुवाडिय़ांवाली आदि के ग्रामीण मौजूद थे।
बनवाला हनुवंता के सरपंच सरवन सिंह, संता सिंह, बेअंत सिंह, गोपी राम, अजमेर सिंह, पंच बलराज सिंह, पूर्व पंच जसवीर सिंह, मलकीत सिंह, बलजीत सिंह, चुवाडिय़ांवाली के सुखराज सिंह, गुलशन और सुखचैन सिंह ने बताया कि पिछले 15 दिनों से उन्हें सिर्फ 1 से 2 घंटे ही बिजली सप्लाई दी जा रही है। इस कारण उनके खेत सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। जंडवाला खरता के सरपंच बलवंत सिंह, गोशा सिंह, शिवचरन सिंह, लक्ख सिंह, पम्मा सिंह, विक्रम सिंह, महंगा सिंह, संतोख सिंह, इंद्रसेन, महेंद्र, मनोज कुमार और धर्मपाल आदि ने बताया कि बिजली नहीं होने के कारण उन्हें अधिक डीजल के दम पर खेती करनी पड़ रही है।
इस कारण उनका खर्च काफी हो जाता है।

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HINDU DHARM KO KHTAM KRNE KE LYE INDIA ME N.G.O. BHEJ RAHA HAI 42000 CRORE - LILA DHAR SHARMA

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Monday 25 July 2011

बाधा झील बचाने को एकजुट हुए बुद्धिजीवी

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

शहर के बुद्धिजीवी फाजिल्का को प्रकृति की अनमोल भेंट बाधा झील को बचाने के लिए एकजुट हो गए हैं। पुडा ने इसके किनारे कालोनी बनाने की घोषणा की है, जबकि इसका विरोध कर रहे बुद्धिजीवियों ने किसी भी हालत में झील का अस्तित्व समाप्त न होने देने का संकल्प लिया है।

गौरतलब है कि कांग्रेस सरकार के दौरान मिनी सचिवालय के साथ ज्यूडीशियल कांपलेक्स बनाने के लिए दी जगह के एवज में एसडीएम रेजीडेंस के साथ लगती बाधा झील के किनारे वाली जगह पुडा को सौंप दी गई थी। पुडा ने अब इस जमीन पर कालोनी काटकर बेचने का इश्तिहार जारी किया है।

उधर, बाधा झील का अस्तित्व बचाने के लिए जुटी ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन और शहर के अन्य बुद्धिजीवी इसके विरोध में लामबंद हो गए हैं। एसोसिएशन के संरक्षक भूपेंद्र सिंह व सचिव इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि पंजाब के 32 वैट लैंड में शामिल फाजिल्का की बाधा झील का पानी सूखने से पहले से ही उसके अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। उस पर रही-सही कसर हमारे नेताओं ने ज्यूडीशियल कांपलेक्स के बदले झील के आसपास की आठ एकड़ जगह पुडा को सौंपकर पूरी कर दी है। पुडा ने भी उक्त प्राइम लैंड की कीमत को भुनाने के लिए प्लाट काटकर बेचने की योजना तैयार कर ली है, जो किसी भी सूरत में पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से सही नहीं है।

एसोसिएशन और शहर की अन्य संस्थाएं जहां झील को फिर से सजीव कर पिकनिक स्पाट बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं, वहीं पुडा ने झील के किनारे रिहायशी कालोनी बसाने के लिए बेचने के लिए खुली नीलामी की घोषणा कर दी है।

एसोसिएशन झील को सजीव करने के लिए झील के अंदर की जगह भी गांव बाधा की पंचायत से लेने के प्रयास कर रही है। असीजा ने कहा कि नियमानुसार स्थानीय प्रशासन वैट लैंड के आसपास की जगह रिहायशी कालोनी के लिए किसी भी एजेंसी के हवाले नहीं कर सकता। पौधारोपण के नजरिये से भी यह जगह काफी महत्व रखती है। वैसे भी अगर यहां कालोनी बसाई जाती है तो करीब पांच सौ पेड़ काटने पड़ेंगे, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिए बड़ा धक्का साबित होगा।

एसोसिएशन के सदस्यों व शहर के अनेक बुद्धिजीवियों ने रविवार को स्थानीय लाला सुनाम राय मेमोरियल सोसायटी के कार्यालय में बैठक कर कालोनी निर्माण के विरोध में अदालत का दरवाजा खटखटाने व लोगों को झील बचाने के लिए जागरूक करने का फैसला लिया है। इसके तहत एसोसिएशन ने फाजिल्का वासियों से उक्त कालोनी में प्लाट न लेने की अपील की है क्योंकि मामला अदालत में जाने से उनकी रकम फंस सकती है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_8026342.html

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Karan
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No notified wetland in Fazilka: Ferozepur DC

Ludhiana :: While NGOs are making efforts to revive the dried up Badha Lake Wetland of Fazilka, Ferozepur DC Kamal Kishore Yadav on Tuesday claimed that while there is no notified wetland in Fazilka, the Badha Lake does not exist in the constituency anymore.

The controversy follows the plans of the Punjab Urban Development Authority (PUDA) to sell 8 acres of land in the vicinity of Badha Lake to set up a new colony. Graduate Welfare Association of Fazilka (GWAF) has approached Punjab Pollution Control Board Chairman A S Pannu, Ferozepur DC, Chief Wildlife Warden of Punjab, National Green Tribunal and others for the purpose.

DC Yadav said: "Concrete construction has come up all along the Badha Lake and now, it doesn't exist in reality. Mining is being done in this part of the lake and there are no plans to revive the area. Earlier, Sutlej used to flow very near to Fazilka and therefore, this lake emerged. But now Sutlej is flowing 15 km away from Fazilka. All these years, no NGO had come up to do anything for the lake and now, undue objections are being raised."

The land in question is next to the old British bunglow, which is now the SDM's residence. Earlier, the SDM used cultivate the area, but to earn some revenue, PUDA has decided to do auction this land in the form of an approved colony. The last date of submitting applications is August 16. The construction of the colony will also lead to the felling of hundreds of trees, which are more than 100 years old.

Navdeep Asija, General Secretary of GWAF, said: "Apart from the violation, half of the colony planned falls under the flood plain and discharge basin of river Satluj. Planning residential colony in this flood plain where the plinth level of proposed houses is 1-2 m below the existing high flood level of this area, is not only a violation of building bylaws but also of special recommendations by the Centre's Disaster Management Group."

According to GWAF, the tehsil was established by Britsh Patric Van Agnew in 1844 on the banks of this horse shoe lake. Till late 1980s, Fazilka's eco-system was perfectly balanced by three wetlands — Badha, Jhangar, and Ganj Bakhash. According to the report of the Punjab Science and Technology Council, these three were among the 32 old natural wetlands in the state, which are now almost on the verge of disappearance mainly due to unplanned development that have transformed these sites into dry farmlands.

http://www.expressindia.com/latest-news/no-notified-wetland-in-fazilka-ferozepur-dc/819714/

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M.R. College ne नहीं भरा जुर्माना, कंप्यूटर साइंस की मान्यता रद्द

सरकारी मुंशी राम कालेज के प्रबंधकों की लापरवाही के चलते पंजाब यूनिवर्सिटी ने कंप्यूटर साइंस विषय की मान्यता रद्द कर दी है। जिससे पिछले दो साल से शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थिर्यो का भविष्य खतरे में है। वहीं कालेज प्रबंधन इस मामले में उलझ गया है।
कॉलेज प्रबंधन पर संदेह
कोई भी प्रोफेसर इस मामले पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन इसका ठीकरा एक दूसरे पर जरूर फोड़ा जा रहा है। कालेज के पास दो साल के लिए मान्यता थी, लेकिन इस साल कालेज की लापरवाही के कारण यूनिवर्सिटी ने कालेज को 25 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया। जुर्माना अदा न करने पर बीए फाइनल के कंप्यूटर साइंस की मान्यता रद्द की गई है।
कालेज ने दाखिला की अंतिम तिथि पहले 16 जुलाई दी थी, इसके बाद यह तिथि बढ़ाकर 23 जुलाई की गई है। निर्धारित तिथि के बाद भी कालेज प्रबंधक अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। पता चला है कि कालेज प्रबंधकों द्वारा बच्चों से फीस तो ले ली, लेकिन यूनिवर्सिटी को लेट भेजी गई।

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रेत माफिया ने हाईकोर्ट के आदेश को दिखाया ठेंगा

उच्च न्यायालय ने सरहदी गांव गागनके की पंचायती भूमि की रेत खदानों पर रेत निकालने पर रोक लगा रखी है। बावजूद इसके सियासी नेताओं की शह प्राप्त रेत माफिया रोजाना लाखों रुपए की सरेआम रेत निकाल रहा है। इस कारण ग्राम पंचायत व सरकार को करोड़ों रुपए प्रति माह चूना लगाया जा रहा है।
यह आरोप है पंचायत का : गांव के पंच काला सिंह व गुरनाम सिंह ने बताया कि पंचायत ने यह भूमि कृषि के लिए हजारों रुपए में ठेके पर दी गई थी, लेकिन वहां खेतीबाड़ी करने की बजाय रेत निकाली जा रही है।
इस बारे में मामला उच्च न्यायालय पहुंचाया गया और उच्च न्यायालय ने रेत निकालने पर रोक लगा दी। इसके बावजूद रेत निकालना जारी है। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत फिरोजपुर स्थित औद्योगिक विभाग से की।
इस पर विभाग के जीएम गुरशरण सिंह ने रेत खदानों पर छापा मारा। उन्होंने मौके पर कुछ लोगों को रेत निकालते पकड़ा, लेकिन उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। खुशहाल सिंह ने रेत माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
पकड़े गए तो होगी कार्रवाई : इस बारे में विभाग अधिकारी बलवंत सिंह ने बताया कि शिकायत के बाद रेत खदानों पर छापामारी की गई थी।
मौके पर रेत निकालते कुछ लोगों को पकड़ा गया था, लेकिन पहली बार उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। अगर फिर भी वहां से रेत निकाली जा रही है तो विभाग तुरंत कार्रवाई करेगा और पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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M.R. College ki Computer Science block ki class cancel


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Sunday 24 July 2011

Admission open

Admission open 2011
Ch. M.R.S. VIVEKANAND I.T.I CANTT. ROAD, FAZILKA
PH.01638-265076, 98143-91110, 89684-97995,94176-​19922, 94170-12511

PUDA for colony by dry lake, NGO says revive it

Ludhiana The controversy over raising a colony on 8 acres of land in the vicinity of the Badha Lake continues to simmer. While the district administration and Punjab Urban development Authority (PUDA) are firm about using the area to develop a colony on the banks of the dry lake to earn revenue, an NGO, Graduates Welfare Association of Fazilka (GWAF), has decided to move the High Court against the plan.

The deputy commissioner (DC) Kamal Kishore Yadav had earlier said that Badha Lake dried up many years ago and is not even a notified wetland now. However, a notification, issued in 1923, defining the urban limits of Fazilka had earmarked the entire area meant for Badha Lake and its banks as well.

Navdeep Asija, General Secretary (administration), GWAF, said, “We have sent a reply to the DC. We will be approaching the court as well because authorities are not listening to us.”

“The logic that a lake has dried over the years and cannot be revived and instead concrete construction should be allowed on its banks is hard to understand. We had submitted a detailed plan with the district administration and the state government regarding revival of the lake in which water can be pumped into it from the river in Badha village,” he added.

To hammer home his point, Asija said that farmers are more through pisciculture than they do by following conventional farming. “The revival of the lake will help us preserve our heritage and we can contribute for the cause of environment as well,” he added.

The GWAF plan can get some unlikely support from a Punjab State Science and Technology report, which states that the lake must revived. However, the DC has categorically stated that as of now, no revival plans are on the anvil.

Meanwhile, the Punjab Pollution Control Board (PPCB) Chairman A.S. Pannu said that a team would conduct a study in the lake to check whether the proposed colony is following the environmental norms.

Friday 22 July 2011

फाजिल्का में मिटी अमेरिकी की जिज्ञासा

एशियाई देशों में सूचना तकनीक के साथ परंपरागत यातायात के साधनों का भी विकास हुआ है। यह विकास कैसे किया गया? इसमें नया क्या किया जा सकता है? इस बारे में रिसर्च के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी अमेरिका (एमआईटी) में डाक्टरेट की उपाधी के लिए रिसर्च कर रहे एल्बर्ट चिंग फाजिल्का पहुंचे। उन्होंने रविवार को ग्रेजुएट्स वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का की ओर से शुरू की गई डायल-ए-रिक्शा यानि ईको कैब और नगर कौंसिल के सहयोग से घंटाघर बाजार को बनाया गया कार फ्री जोन को देखा व ईको कैब सदस्यों के साथ अपने अनुभव साझे किए।
इसके अलावा उन्होंने नगर कौंसिल प्रधान अनिल सेठी से भेंट की व देर सायं सरहद की सादकी चौकी पर होने वाली रिट्रीट सेरेमनी का लुत्फ उठाया। उनके साथ गवफ संरक्षक डॉक्टर भूपिंद्र सिंह, सचिव नवदीप असीजा आदि भी मौजूद थे। असीजा के बताए अनुसार एल्बर्ट चिंग रिसर्च कर रहे हैं कि एशियाई देशों में किस तरह परंपरागत यातायात के साधन, जैसेकि रिक्शा को सूचना तकनीक के साथ जोड़कर मौजूदा समय की जरूरतों को पूरा किया जा रहा है। पुराने एशियाई शहरों में रिक्शा ही एक ऐसा पर्याप्त यातायात का साधन है, जिससे तंग गलियों व पुराने शहरों के अंदर तक जाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि वह फाजिल्का की रिपोर्ट एमआईटी में जमा करवाएंगे।यह जानना चाहते हैं चिंग
रविवार को फाजिल्का पहुंचे एल्बर्ट चिंग कर रहे हैं मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी अमेरिका (एमआईटी) में डाक्टरेट की उपाधि।
रिसर्च : एशियाई देशों में सूचना तकनीकी के साथ यातायात के परंपरागत साधनों का भी विकास हुआ है। यह विकास कैसे किया गया? इसमें क्या नया किया जा सकता है।

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FZK DISTT. NEWS

Sunday 17 July 2011

Fazilka Slogan

सारे जहाँ से अच्छा है फाजिल्का हमारा,हम सभी हैं इस के वासी,यह बंगला हमारा,
इस शहर से हे सीखा, इंसानियत को प्यार करना ,मंदिर मस्जिद इस के, इस का हे गुरुद्वारा,

बाधा की झील प्यारी , और फूल बाघ इस के, आंखों में बस गया है, घंटा घर से नज़ारा,
दुनिया की आंखों में है, यह ऊन का व्यापारी,
पंजाब राजस्थान पकिस्तान हरियाणा का यह जंक्शन हमारा,

विद्या जी इस से सीखी, दुनिया के काम लाना , सारे जहाँ मे रोशन इस का है अब सितारा,
कुर्बानी अमर इस कि, इस की महिमान निवाजी , यह घर है प्यारा प्यारा,यह बंगला न्यारा।

सारे जहाँ से अच्छा फाजिल्का हमारा,हम सभी हैं इस के वासी,यह बंगला हमारा,
इस शहर से हे सीखा, इंसनिअत को प्यार करना ,मंदिर मस्जिद इस के, इस का हे गुरुद्वारा,