Thursday 28 July 2011

पठानकोट-फाजिल्का जिले बने

चंडीगढ़ /जालंधर. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव के कारण कहीं आचार संहिता न लग जाए, इसी की सुगबुगाहट के चलते अकाली भाजपा सरकार ने आनन-फानन में बुलाई कैबिनेट की मीटिंग में फाजिल्का और पठानकोट को नए जिलों का दर्जा दे दिया। गुरुहरसहाय व धर्मकोट नए उपमंडल होंगे। धर्मकोट मोगा का और गुरुहरसहाय फिरोजपुर जिले का हिस्सा होगा। फाजिल्का में जलालाबाद, अबोहर, फाजिल्का व उपमंडल होंगे जबकि अरनीवाला शेख सुबान, सीतोगुन्नो व खुइयां उप-तहसीलें होंगी। पठानकोट में पठानकोट व धारकलां उपमंडल होंगे जबकि नरोट जैमल सिंह व बमियाल उप-तहसीलें होंगी। वहीं, २क् साल से ट्यूबवेल कनेक्शन की बाट जोह रहे 75000 किसानों के लिए कनेक्शन को भी मंजूरी दे दी है।

उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने कहा, फिरोजपुर और गुरदासपुर जिले काफी बड़े होने के कारण आम लोगों को जिला स्तर पर करवाए जाने वाले कामों को लेकर दिक्कत आ रही थी, इसलिए पठानकोट और फाजिल्का को जिला बनाया गया है। इसके अलावा बटाला और फगवाड़ा में एडीसी का पद सृजन किया जाएगा, जिसके पास जनरल और विकास दोनों तरह की पावर होंगी। 75 हजार कनेक्शन जारी होने से उन किसानों को लाभ होगा जो डीजल फूंककर सिंचाई करते हैं। नलकूप के लिए सरकार ने बिजली निशुल्क उपलब्ध करवाई हुई है। हालांकि पहले ही चिंतनीय स्तर पर पहुंच चुके जमीनी पानी का क्या होगा? इस पर कोई विचार नहीं हुआ है।

मुद्दाविहीन हो गई है कांग्रेस : कैप्टन अमरेंदर सिंह के डीजीपी पी.एस.गिल और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव डी.एस.गुरु के अकाली कार्यकर्ताओं की तरह सरगर्मियां दिखाने के आरोप पर सुखबीर बादल ने कहा, लगता है कांग्रेस मुद्दाविहीन हो गई है इसलिए इस तरह के मुद्दों को उठा रही है। जिलों में आईपीएस की जगह पीपीएस लगाने के बारे में उन्होंने हमारे पास आईपीएस अफसरों की कमी है, हम यूपीएससी से मामला टेकअप कर रहे हैं ताकि ज्यादा अफसर मिल सकें।

ये होंगे फायदे

फाजिल्का : हरियाणा के सिरसा, राजस्थान के बीकानेर, पाक के बहावलपुर व फिरोजपुर से सटा होने से आवाजाही और व्यापार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

प्रसिद्ध ऊन मंडी के फिर विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी।

पठानकोट : उद्योगपतियों की भागदौड़ कम होगी। जिला स्तर पर होने वाले काम, जिला न्यायालय में होने वाले केसों में शामिल होने सुविधा होगी।

जम्मू, हिमाचल से जुड़ा होने के कारण व्यापार बढ़ेगा।

बिना अफसर भर्ती इधर-उधर से भरेंगे जिले
जालंधर . नए जिले तभी सही ढंग से काम कर सकते हैं, जब इन्हें चलाने के लिए नई भर्ती कर पोस्टों को भरा जाए। अगर अफसरों व मुलाजिमों को इधर से उधर ही एडजस्ट किया गया तो पुराने जिलों का कामकाज भी प्रभावित होगा। फिलहाल सूबे में करीब 200 पीसीएस अफसरों की कमी चल रही है। कारण, अफसर रिटायर तो होते गए, लेकिन भर्ती नहीं की गई। हालात यह हो गए कि पीसीएस अफसरों को ठेके पर रखना पड़ा। पंजाब रेवेन्यू ऑफिसर्स एसो. के आंकड़ों के मुताबिक कुछ वर्ष पहले तक पीसीएस अधिकारियों का कैडर 296 पोस्टों का था।

यह पोस्टें पुरानी थीं और उसके बाद तरनतारन और साहिबजादा अजीत सिंह नगर (मोहाली) जिलों का गठन किया गया। चमकौर साहिब और खडूर साहिब तहसीलें भी बनाई गईं। सभी जिलों एवं तहसीलों की पोस्टों को ध्यान में रखा जाए तो पीसीएस अधिकारियों की गिनती करीब 310 तक जा पहुंचती है। इसमें नए जिलों के अफसर शामिल नहीं हैं। हालांकि सरकार ने काम चलाने के लिए 28 रिटायर हो ठेके पर रखा है। मुलाजिम संगठनों के मुताबिक सूबे में लगभग 60 प्रतिशत मुलाजिमों की कमी है।

i Love My Fazilka

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