Monday 1 August 2011

क्या खोया है, क्या पाया है आज तुम्हें बतलाते हैं

क्या खोया है, क्या पाया है
आज तुम्हें बतलाते हैं
आओ साथियों, देशवासियो
भारत तुम्हें दिखाते हैं ॥
जिस गौ को गौमाता कहकर
गाँधी सेवा करते थे
जिसके उर में सभी देवता
वास हमेशा करते थे
हिन्द भले ही मुक्त हुआ हो
गौमाता बेहाल अभी
कटती गऊएँ किसे पुकारें
उनके सर है काल अभी
गौमाता की शोणित-बूँदें
जब धरती पर गिरती हैं
तब आज़ादी की व्याख्याएँ
ज्यों आरी से चिरती हैं
गौ भारत का जीवन-धन है
हिन्दू चिन्तन की धारा
गौमाता को जो काटे, वह
है माता का हत्यारा
कृष्ण कन्हैया की गऊओं की
गाथा करुण सुनाते हैं
कया खोया है, क्या पाया है
आज तुम्हें बतलाते हैं ॥
हिन्द देश की भाषा हिन्दी
संविधान में माता है
मैकाले की अँग्रेजी से
भारत जाना जाता हैं
राजघाट से राजपाट तक
अँग्रेजी की धूम बड़ी
औ’ हिन्दी, झोपड़-पटटी में
कैसी है मजबूर खड़ी
न्यायालय से अस्पताल तक
भाषा अब अँग्रेजी है
हिन्दी संविधान में बन्दी
रानी अब अँग्रेजी है
मन्त्री जी से सन्त्री जी तक
बोलें सब अँग्रेजी में
हर काँलिज, हर विद्यालय में
डोंलें सब अँग्रेजी में
अपनी भाषा हिन्दी से हम
क्यों इतना कतराते हैं
क्या खोया है, क्या पाया है
आज तुम्हें बतलाते

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज अपरिचित नाम नहीं है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज अपरिचित नाम नहीं है। भारत में ही नहीं,विश्वभर में संघ
के स्वयंसेवक फैले हुए हैं। भारत में लद्दाख से लेकर अंडमान निकोबार तक नियमित
शाखायें हैं तथा वर्ष भर विभिन्न तरह केकार्यक्रम चलते रहते हैं। स्वयंसेवकों
द्वारा समाज के उपेक्षित वर्ग के उत्थान के लिए, उनमें आत्मविश्वास व राष्ट्रीय भाव
निर्माण करने हेतु डेढ़ लाख से अधिक सेवा कार्य चल रहे हैं। संघ के अनेक स्वयंसेवक
समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समाज के विभिन्न बंधुओं से सहयोग से अनेक संगठन
चला रहे हैं। राष्ट्र व समाज पर आने वाली हर विपदा में स्वयंसेवकों द्वारा सेवा के
कीर्तिमान खडे किये गये हैं। संघ से बाहर के लोगों यहां तक कि विरोध करने वालों ने
भी समयसमय पर इन सेवा कार्यों की भूरिभूरि प्रशंसा की है। नित्य राष्ट्र साधना
(प्रतिदिन की शाखा) व समयसमय पर किये गये कार्यों व व्यक्त विचारों के कारण ही
दुनिया की नजर में संघ राष्ट्रशक्ति बनकर उभरा है। ऐसे संगठन के बारे में तथ्यपूर्ण
सही जानकारी होना आवश्यक है। रा. स्व. संघ का जन्म सं. 1982 विक्रमी (सन 1925) की
विजयादशमी को हुआ। संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार थे। डॉ. हेडगेवार
के बारे में कहा जा सकता है कि वे जन्मजात देशभक्त थे। छोटी आयु में ही रानी
विक्टोरिया के जन्मदिन पर स्कूल से मिलने वाला मिठाई का दोना उन्होंने कूडे में
फेंक दिया था। भाई द्वारा पूछने पर उत्तर दिया "हम पर जबर्दस्ती राज्य करने वाली
रानी का जन्मदिन हम क्यों मनायें?’’ ऐसी अनेक घटनाओं से उनका जीवन भरा पड़ा है। इस
वृत्ति के कारण जैसेजैसे वे बड़े हुए राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ते गये। वंदेमातरम कहने
पर स्कूल से निकाल दिये गये। बाद में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में इसलिए पढ़ने गये कि
उन दिनों कलकत्ता क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। वहां रहकर अनेक
प्रमुख क्रांतिकारियों के साथ काम किया। लौटकर उस समय के प्रमुख नेताओं के साथ
आजादी के आंदोलन से जुड़े रहे। 192 के नागपुर अधिवेशन की संपूर्ण व्यवस्थायें
संभालते हुए पूर्ण स्वराज्य की मांग का आग्रह डॉ. साहब ने कांग्रेस नेताओं से किया।
उनकी बात तब अस्वीकार कर दी गयी। बाद में 1929 के लाहौर अधिवेशन में जब कांग्रेस ने
पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया तो डॉ. हेडगेवार ने उस समय चलने वाली सभी
संघ शाखाओं से धन्यवाद का पत्र लिखवाया, क्योंकि उनके मन में आजादी की कल्पना पूर्ण
स्वराज्य के रूप में ही थी।
आजादी के आंदोलन में डॉ. हेडगेवार स्वयं दो बार जेल
गये। उनके साथ और भी अनेकों स्वयंसेवक जेल गये। फिर भी आज तक यह झूठा प्रश्न
उपस्थित किया जाता है कि आजादी के आंदोलन में संघ कहां था? डॉ. हेडगेवार को देश की
परतंत्रता अत्यंत पीडा देती थी। इसीलिए उस समय स्वयंसेवकों द्वारा ली जाने वाली
प्रतिज्ञा में यह शब्द बोले जाते थे॔ "देश को आजाद कराने के लिए मै संघ का
स्वयंसेवक बना हूं’’ डॉ. साहब को दूसरी सबसे बडी पीडा यह थी कि इस देश का सबसे
प्रचीन समाज यानि हिन्दू समाज राष्ट्रीय स्वाभिमान से शून्य प्रायरू आत्म विस्मृति
में डूबा हुआ है, उसको “मैं अकेला क्या कर सकता हूं’’ की भावना ने ग्रसित कर लिया
है। इस देश का बहुसंख्यक समाज यदि इस दशा में रहा तो कैसे यह देश खडा होगा? इतिहास
गवाह है कि जबजब यह बिखरा रहा तबतब देश पराजित हुआ है। इसी सोच में से जन्मा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। इसी परिप्रेक्ष्य में संघ का उद्देश्य हिन्दू संगठन यानि
इस देश के प्राचीन समाज में राष्ट्रीया स्वाभिमान, निरूस्वार्थ भावना व एकजुटता का
भाव निर्माण करना बना। यहां यह स्पष्ट कर देना उचित ही है कि डॉ. हेडगेवार का यह
विचार सकारात्मक सोच का परिणाम था। किसी के विरोध में या किसी क्षणिक विषय की
प्रतिक्रिया में से यह कार्य नहीं खडा हुआ। अतरू इस कार्य को मुस्लिम विरोधी या
ईसाई विरोधी कहना संगठन की मूल भावना के ही विरूद्घ हो जायेगा।

हिन्दू संगठन
शब्द सुनकर जिनके मन में इस प्रकार के पूर्वाग्रह बन गये हैं उन्हें संघ समझना कठिन
ही होगा। तब उनके द्वारा संघ जैसे प्रखर राष्ट्रवादी संगठन को, राष्ट्र के लिए
समर्पित संगठन को संकुचित, सांप्रदायिक आदि शब्द प्रयोग आश्चर्यजनक नहीं है। हिन्दू
के मूल स्वभाव उदारता व सहिष्णुता के कारण दुनियां के सभी मतपंथों को भारत में
प्रवेश व प्रश्रय मिला। वे यहां आये, बसे। कुछ मत यहां की संस्कृति में रचबस गये
तथा कुछ अपने स्वतंत्र अस्तित्व के साथ रहे। हिन्दू ने यह भी स्वीकार कर लिया
क्योंकि उसके मन में बैठाया गया है "रुचीनां वैचित्र्याद्जुकुटिलनानापथजुषाम्।
नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामपर्णव इव॥" अर्थ "जैसे विभिन्न नदियां भिन्नभिन्न
स्रोतों से निकलकर समुद्र में मिल जाती है, उसी प्रकार हे प्रभो! भिन्नभिन्न रुचि
के अनुसार विभिन्न टे़मेढ़े अथवा सीधे रास्ते से जाने वाले लोग अन्त में तुझमें
(परमपिता परमेश्वर) आकर मिलते है।" शिव महिमा स्त्रोत्तम, इस तरह भारत में अनेक
मतपंथों के लोग रहने लगे। इसी स्थिति को कुछ लोग बहुलतावादी संस्कृति की संज्ञा
देते हैं तथा केवल हिन्दू की बात को छोटा व संकीर्ण मानते हैं। वे यह भूल जाते हैं
कि भारत में सभी पंथों का सहज रहना यहां के प्राचीन समाज (हिन्दू) के स्वभाव के
कारण है।
उस हिन्दुत्व के कारण है जिसे देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी जीवन
पद्घति कहा है, केवल पूजा पद्घति नहीं।हिन्दू के इस स्वभाव के कारण ही देश
बहुलतावादी है। यहां विचार करने का विषय है कि बहुलतावाद महत्वपूर्ण है या
हिन्दुत्व महत्वपूर्ण है जिसके कारण बहुलतावाद चल रहा है। अत: देश में जो लोग
बहुलतावाद के समर्थक हैं उन्हें भी हिन्दुत्व के विचार को प्रबल बनाने की सोचना
होगा। यहां हिन्दुत्व के अतिरिक्त कुछ भी प्रबल हुआ तो न तो भारत रह सकेगा न ही
बहुलतावाद जैसे सिद्घांत रह सकेंगे।

भारत माता कि जय

i Love My Fazilka (ameta)

बिजली सप्लाई न मिलने से सूख रही है धान की फसल

मौसम की मार के साथ गांवों में किसानों को बिजली की पर्याप्त सप्लाई न मिलने से धान की फसल सूखने के कगार पर है। इस बारे में किसान संगठन खुईखेड़ा सबस्टेशन का घेराव भी कर चुके हैं। इसके अलावा कई गांवों में नारेबाजी हो चुकी है।
इसके बावजूद किसानों को पूरी बिजली सप्लाई नहीं मिल रही। यह हालात गांव पैंचावाली, तुरका वाली, जोड़की कंकरवाली, लालोवाली, अभून, चक्क बनवाला, चक्क डबवाला, चुवाडिय़ावाली, किक्करवाला रूपा, सजराना, बेगांवाली, टाहलीवाला, सिंहपुरा, चाहलावाली, चांदमारी, फरवावाली, पक्का चिश्ती, मौजम, सलेमशाह, गंजूआना आदि में है, जहां फसलें सूखने लगी है।
डीजल फूंकने लगे किसान : किसानों मोहन लाल पूर्व सरपंच, झंडा राम, कश्मीर चंद, टाहला राम, देस राज, लेख राज, दर्शन लाल, गुलाब राम, पुनू राम, सतनाम चंद, बलराम, गोपी राम, सरवन कुमार, बलराज सिंह, हमराज सिंह, दविन्द्र सिंह, राम चंद, किशोर चंद, मदन लाल आदि ने बताया कि इस बार बारिश नहीं हुई है। पावर कॉम की ओर से आठ घंटे की बजाए कई जगह 3-4 घंटे बिजली सप्लाई दी जा रही है। इस पर भी कई बार बिजली कट लगाए जा रहे हैं। फसलों को पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा। जिस कारण उन्हें डीजल फूंककर अधिक खर्च करना पड़ रहा है।


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शहीदों के बताए रास्ते पर चलने का लिया प्रण

नगर के भाजपा कार्यकर्ताओं एवं अन्य सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा शहीद ऊधम सिंह पार्क में रविवार को शहीद ऊधम सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
श्रद्धांजलि देने वालों में नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन एडवोकेट महेंद्र प्रताप धींगड़ा, नगर कौंसिल अध्यक्ष अनिल सेठी, अकाली नेता आत्मा राम कंबोज, प्रवीण धंजू, जंग शेर बहादुर विज, मिंटा शर्मा, अमर चेतीवाल, विष्णु दत्त शर्मा, कंचन शर्मा, हंसराज तिन्ना, लीलाधर शर्मा, संदीप धींगड़ा, ओम प्रकाश बलाना, शिवा, विकास, सुखजीत कुमार, शिवनाथ मक्कड़, रजत कवातड़ा, राज कुमार, बाबा भूमण शाह वेलफेयर सोसायटी के डा. लेख राज कंबोज, तर्कशील सोसायटी इकाई अध्यक्ष सुरिन्द्र गंजूआना, कामरेड बाग चंद आदि
शामिल थे। इस मौके पर विभिन्न नेताओं ने शहीद के बताए मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। भास्कर न्यूज & फाजिल्का
शहीद ऊधम सिंह यूथ क्लब की ओर से ग्राम पंचायत गांव चाननवाला के सहयोग से शहीदी दिवस को समर्पित रक्तदान कैंप लगाया गया। कैंप की शुरुआत क्लब के अध्यक्ष बलविंद्र सिंह और सरपंच जगदीश कुमार ने की।
इस मौके पर शहीद भगत सिंह यूथ क्लब पक्का चिश्ती का विशेष सहयोग रहा। इस अवसर पर सिविल अस्पताल के डा. रेणू धूडिय़ा, ब्लड बैंक के इंचार्ज डा. बलवीर सिंह, रंजू आदि पहुंचे। कैंप में 30 यूनिट रक्तदान किया गया। कैंप में अध्यक्ष बलविंद्र सिंह, सरपंच जगदीश कुमार, ब्लाक समिति सदस्य प्रदीप कुमार, प्रधान इंकलाब गिल पक्का चिश्ती, सचिव जसप्रीत गिल, चेयरमैन बलवंत राम, प्रेस सचिव खजान सिंह, सलविंद्र सिंह बब्बू, राकेश सिंह, पप्पू सिंह, बलदेव सिंह, रेशम सिंह, सावन सिंह, मंगल सिंह, सुरजीत कुमार, इकबाल सिंह, बलकार सिंह, प्रेम सिंह, काला सिंह, बलविंद्र कुमार, संदीप सिंह हाजिर थे। भास्कर न्यूज & जलालाबाद
आल इंप्लाइज कोआर्डिनेटर कमेटी जलालाबाद की ओर से शहीद ऊधम सिंह का शहीदी दिवस मनाया गया। रविवार सुबह सबसे पहले विभिन्न संगठनों की ओर से शहीद ऊधम सिंह के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए गए। शहीदों के दिखाए मार्ग पर चलने का प्रण लिया गया। देश को आजादी दिलाने के लिए देशभक्तों
ने हसते हुए मौत को गले से लगा
लिया। शहीद ऊधम सिंह के शहीदी दिवस पर कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस अवसर पर आल इंप्लाइज कोआर्डिनेटर कमेटी अध्यक्ष बलवीर सिंह काठगड़, सोहन दीप थिंद, पवन अरोड़ा, बलवीर पुआर, पवन अरोड़ा, चंद्रप्रकाश मदान, केवल कृष्ण सुल्ला, इकबाल चंद जोसन, प्रेम प्रकाश पटवारी, साधू सिंह पटवारी, कृष्ण बलदेव, जगनंदन सिंह, सतनाम सिंह फलियांवाला, जसवंत सिंह सेखड़ा, राज कुमार बूंगी आदि ने पुष्पों के हाल डाल कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

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फिर से मंदी का खतरा


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.... तो मिटा कर रख देंगे पाक को


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जंग की तयारी में जुटा पाकिस्तान ?


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