Wednesday 7 December 2011

रिलायंस का धमाका सिर्फ 3500 में बेचेगी टैबलेट कंप्यूट

जी हां मुकेश अंबानी की रिलायंस कंपनी जल्द ही 4जी टेक्नोलॉजी से युक्त इस टैबलेट को बाजार में उतारने जा रही है। रिलायंस कंपनी इससे पहले अगले साल के बीच में 4जी टेक्नोलॉजी शुरु करने की बात कही थी लेकिन अब कंपनी जल्द ही यह सेवा शुरु कर सकती है कंपनी इस सेवा को अपने 3500 रुपए के टैबलेट के साथ शुरु कर सकती है।


4जी टेक्नोलॉजी में डाटा ट्रांसफर की स्पीड 3जी टेक्नोलॉजी से कहीं ज्यादा होती है। यहीं नहीं कंपनी इस तकनीक को बेहद सस्ते में मुहैया करवाएगी। रिलायंस कंपनी एक जीबी डाटा के लिए सिर्फ 10 रुपए चार्ज करेगी जो मौजूदा 3जी तकनीक के चार्ज का दसवां भाग है। फिलहल मौजूदा टेलीकॉम ऑपरेटर्स 3जी तकनीक में 1 जीबी डाटा डाउनलोड के लिए 100 चार्ज कर रहे हैं।





आपको बता दें कि आरआईएल देश में इकलौती ऐसी कंपनी है जिसे पूरे देश में 4जी तकनीक का लाइसेंस मिला हुआ है कंपनी ने इसके लिए 13000 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।


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इसे पढ़ने के बाद आप जान जाएंगे एक रुपए की ताकत को..

आगरा।आगरा की एक युवती ने इस पुरानी कहावत को सही साबित कर दिखाया कि बूंद-बूंद से समंदर बनता है। दो साल पहले उन्होंने 500 गुल्लक आगरा की इतनी ही दुकानों पर रखे थे और सभी से सिर्फ एक रुपये प्रतिदिन इसमें डालने का अनुरोध किया था। एक-एक रुपये कर आज उनके पास करीब ढाई लाख रुपये एकत्र हो चुके हैं।


उनका मकसद इन पैसों से एक ऐसे अस्पताल का निर्माण करना था, जहां गरीबों को उचित चिकित्सा सुविधा मिल सके। उनका यह सपना हालांकि अब तक पूरा नहीं हो सका है, लेकिन वह अपने इस प्रयास से पहले ही एक जिंदगी बचा चुकी हैं। यह कारनामा कर दिखाने वाली हैं आईटी पेशेवर सपना अग्रवाल, जिनकी उम्र अभी 30 साल भी पूरी नहीं हुई है।


सपना ने 'माले वेलफेयर सोसाइटी' नाम से अपना गैर-सरकारी संगठन बनाया और एक-एक सिक्के के रूप में मिले अनुदान को एकत्र करना शुरू किया। सपना ने कहा, "सिर्फ एक बूंद नाकाफी हो सकती है, लेकिन जब कई बूंद मिल जाती है तो वे बारिश की तरह खुशी व जीवन के लिए सहायक साबित होती हैं।"


सपना को इस काम की प्रेरणा दो साल पहले तब मिली थी जब उनके माता-पिता बीमार थे और शहर में खराब चिकित्सा व्यवस्था की वजह से उन्हें समुचित इलाज नहीं मिल पाया। इसके बाद उन्होंने आगरा में विश्वस्तीय अस्पताल बनाने का निर्णय लिया, जहां गरीबों को नि:शुल्क इलाज मिल सके।


उनका यह सपना हालांकि अब तक पूरा नहीं हो पाया है, लेकिन पिछले दो साल में एकत्र हुए करीब ढाई लाख रुपये से वह एक गरीब परिवार की युवती को बचा चुकी हैं, जो हृदय रोग की वजह से पिछले करीब आठ साल से बिस्तर पर थी। 20 वर्षीया कंचन के हृदय के बाल्व में गड़बड़ी थी। उसकी मां कमलेश बेटी को बचाने के लिए हर जगह गईं। लेकिन उन्हें मदद मिली तो सपना से।


सपना ने अपने गैर सरकारी संगठन के जरिये कंचन के इलाज के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराई। परिणामस्वरूप उसका ऑपरेशन हो सका। लेकिन बेटी को पूरी तरह ठीक रखने के लिए कमलेश को और पैसों की जरूरत है, जिसके लिए सपना ने लोगों से मदद का आह्वान किया है।
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