Sunday 31 July 2011

बढ़ती हुई महंगाई का सीधा असर घरेलु जिंदगी पर


 , देश में बढ़ती  हुई महंगाई जिस तरह घरेलु महिलाओं के बजट की धज्जिया उड़ा रही है. उससे साफ़ नजर आ रहा है कि सरकार के खिलाफ महिलाऐं जल्दी ही देशव्यापी आन्दोलन करती दिखाई देंगी.कमरतोड़ मह्नागाई के आगे आम आदमी का जीना कठिन होता जा रहा है.जंहा एक ओर कमाने वाला अकेला ओर खाने वाले चार. उस घर में महंगाई एक कहर कि तरह बरस रही है.सरकार का ये रवैया "आमदनी अठान्नी और खर्चा रूपया" कि कहावत को आम आदमी कि जिंदगी में ही साबित कर रहा है.
                          
   सब्जी,अनाज ,तेल,फलों के दाम जिस तरह आसमान छू रहे है . वंहा एक गरीब परिवार ही क्या,मध्यमवर्गीय परिवार का गुजारा करना ही मुश्किल हो गया है.बच्चो के स्कूल के खर्चे से लेकर घर के खर्चो तक के बजट डगमगाने लगा है.घर कि बाग़डोर सँभालने वाली गृहणी सोच में पड़ गई है कि घर में किन चीजों में कटौती कि जाये और किन कि पूर्ति कि जाये.महंगाई जिस स्तर  से बढ़ती जा रही है ,महिलाओं के लिए बचत करना नामुमकिन होता जा रहा है.अपने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपने खर्चों में कमी करना आज के माँ-बाप कि अहम् जिम्मेदारी हो गयी है.सिर्फ खाद्य पदार्थ ही क्या पेट्रोल, डीजल यंहा तक शिक्षा भी इतनी महंगी हो चली है कि मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को अच्छी शालाओं में प्रवेश के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है.
 
इसी तरह चलता रहा तोक्या  आम आदमी अपने देश के प्रति ईमानदार रह सकेगा,उसे पैसे कमाने के लिए गलत तरीके का उपयोग करना ही पड़ेगा.इसी तरह भ्रष्टाचार बढ़ता जा  रहा है.क्योकि गरीब और गरीब होता जा रहा है,और अमीर नेता महंगाई कि आड़ में गरीबो को लुट के खुद अमीर बनते जा रहा है.
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