Friday 5 August 2011

हमारी आस्था बनी नागों की मुसीबत

खंडवा [ नदीम रॉयल ]नागपंचमी आते ही सपेरों के पीटारे सड़कों पर नजर आने लगे हैं. यह समला जीव अत्याचार की श्रेणी में आता है. फिर भी कई गरीब सपेरों का पेट पल रहा है. यहां तक की वनविभाग वाले भी इन सपेरों की जरूरत पड़ने पर सहायता लेते हैं. नागपंचमी पर पुण्य कमाने के लिए पांच सौ से एक हजार रूपए तक लेकर ये बंदी बनाएं सांपों को रिहा भी करते हैं. इतना नहीं अधिकांषतः सपेरे अपने बच्चों के नाम भी सांप की प्रजातियों वाले ही रखते हैं. पद्मानागिन, घोडापछाड़ देषी प्रजातिया कालबेलिएं लेकर धूमते मिल जाएंगे. लगभग पच्चीस से तीस सपेरों ने षहर में डेरा डाल रखा है. नागपंचमी के कुछ दिन बाद तक ये षहर में दिखाई पडे़गे. सौ से अधिकांष सांप और उनेक जोडे़ इनके पास बंदी है.

वनविभाग भी सहयोगी: सांप यदि फन फैलाता हुआ दिख जाए, तो अच्छे-अच्छे को पसीना आ जाता है. वनविभाग वाले भी सांप पकड़ने के लिए हमे बुलाते है़ यह कहना था सपेरे जारूनाथ का. वैसे तो फारेस्ट की जिम्मेदारी जानवरों की सुरक्षा है. सपेरों की माने तो वनविभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी अपनी जान बचाने के लिए सांप पकड़ने बुलाते है़ इनकी जिंदगी और मौत के बीच कोई बड़ा फासला नहीं होता है़ थोडी सी गलती हुई और पलभर में मौत़ कितने ही अनुभवी भी सांप काटने से मौत के षिकार हो चुके है़ पेट की

मजबूरी या परंपरा:
हाथ पे सांप कटवाना और बीन पर नचवाने में जान जोखिम में डालने का काम है. कुछ सपेरों के लिए यह मजबूरी है, तो कुछ के लिए परंपरा निर्वाह करना. एक सपेरे ने बताया कि पीढ़ियों से वे यह काम कर रहे है. उनके भगवान कनकनाथ की आज्ञा से परिवार वाले इस काम में लगे हुए है. वास्तव में वे योगीनाथ घराने से है. सांप को काल कहा जाता है. इसे पकड़ने के कारण कालभेड़िए लोग कहते हैं कि दिनभर में पंचास से साट रूपए आमदनी हो पाती है. सावन में अच्छी कमाई हो जाती है. नागपंचमी पर मिले कपडे़ सालभर चल जाते है. मनुबय को काटने पर जहर उतारने का फन पीढि.यों से मिला है. यदि दिमाग में जहर फैल जाए, तो उसे कोई नहीं बचा सकता.

. सांप मांसाहारी होता है. सपेरे इन्हें पकड़कर दूध में आटा घोलकर पिलाते है. इससे इनकी आयु घटती है.
. विबा ग्रंथि निकाल दी जाती है. जिंदा छोड़ने पर भी सांप के बचने की कोई उम्मीद नहीं रहती. विबा इने लिए एंटीबायोटिक होता है.
. बनी की आवाज से ये प्रसन्न होकर नहीं नाचते, बल्कि इसके कंपन्न से घबराकर फन फैलाकर खडे़ हो जाते है.
. नागपंचमी पर पैसे की लालच में जबरन दूध मुंह में डाला जाता है अधिक होने पर इनी मौत भी हो सकती है.

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